सोमवार, 13 सितंबर 2010

रक्तदान - श्रद्धांजली

तकिये के नीचे रखा मोबाईल फोन कब से वाय्ब्रेसन की गुर गुर आवाज लागाये जा रहा था |
फोन के स्क्रीन पर सन्देश आ रहे थे - " कॉलिंग - अंकुर, कॉलिंग मामी, कॉलिंग - मधु "|
निशांत ने संदेशों की सूची देखी , संदेशों की कतार लगी थी - " हैप्पी बर्थडे - उमेश, जन्म दिन शुभकामनाएं - अवनीश, मेनी मेनी हैप्पी रिटर्न ऑफ़ द डे - भारती " और बहुत सारे |
निशांत इन सब से अछूता अपने किसी जरुरी काम में लगा हुया था |
बिस्तर पर लेटे लेटे एकाएक उसकी यादें १० बरस पीछे दौड़ पडी | बारीश की वो शाम, निशांत का एक अस्पताल से दूसरी को बेहताशा दौड़ना, लोगों को फोन कर मदद की गुहार लगाना और आखिर में हार कर उस अस्पताल पहुँच, रक्त ना मिलने से मरी पडी अपनी ५० बरस की माँ को देखना |
तब से अपने हर जन्मदिन पर निशांत रक्तदान कर, अपनी माँ को श्रद्धांजली देता है |
आज ११ वी बार है ...


अवनीश तिवारी

३०-०८-२०१०